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Maharajganj education Video : शिक्षा के मंदिर पर लटकता ताला देख फूट-फूट कर रो पड़े मासूम, मर्जर नीति ने तोड़ दिया हौसला

 

 "बंद स्कूल, भीगी आंखें: शिक्षा के अधिकार पर लगा ताला"

मर्जर नीति बनी मासूमों के लिए सजा

महराजगंज टाइम्स ब्यूरो:- जिले के ग्रामीण इलाकों में परिषदीय स्कूलों के मर्जर से उपजे हालात ने मासूम बच्चों के आंखों में आंसू भर दिए हैं। शिक्षा के मंदिरों पर लटकते तालों ने न सिर्फ उनके सपनों को रोका, बल्कि सरकार की "बेटी पढ़ाओ" और "शत प्रतिशत साक्षरता" जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। डॉ. भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि "शिक्षा शेरनी का दूध है, जो पिएगा वो दहाड़ेगा," लेकिन मौजूदा हालात में ग्रामीण नौनिहालों की दहाड़ सिसकियों में बदलती जा रही है। जिले में 50 से कम नामांकन वाले 168 परिषदीय स्कूलों को मर्जर कर बंद कर दिया गया है, जिससे कई गांवों में बच्चों की पढ़ाई बाधित हो गई है।

परतावल ब्लॉक के रुद्रपुर भलुई गांव में ऐसा ही मंजर सामने आया जब मासूम बच्चे रोज की तरह स्कूल पहुंचे, लेकिन गेट पर ताला लटकता मिला। बैग और यूनिफॉर्म में सजे बच्चों की आंखें नम हो गईं। खासकर एक दिव्यांग छात्रा, जो व्हीलचेयर पर स्कूल आई थी, उसकी मां पूछ रही थी – "अब मेरी बेटी दो किलोमीटर दूर स्कूल कैसे जाएगी?" लेकिन जवाब देने वाला कोई नहीं था। जहां शिक्षा को हर गांव की चौखट तक पहुंचाने की बात होती है, वहीं अब मर्जर नीति बच्चों को सुरक्षा, दूरी और आर्थिक दिक्कतों के दलदल में धकेल रही है। वायरल हो रहे वीडियो और तस्वीरों में बच्चों की भावनाएं स्पष्ट दिख रही हैं, जो व्यवस्था पर करारा सवाल बनकर उभरी हैं। शिक्षा अधिकार अधिनियम और गांव-गांव स्कूल की अवधारणा के उलट, ये मर्जर नीति कहीं शिक्षा को दूर न कर दे – ऐसी चिंता अब आमजन की जुबान पर है।

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